November 12, 2025

rashtriyadiyasamachar

एक राष्ट्र, एक विधान, एक नजर,एक खबर

गोंडा के बेसिक शिक्षा अधिकारी का बड़ा कारनामा आया सामने, सवा दो करोड़ की रिश्वत मांगने का लगा आरोप,व्यापारी से फर्नीचर सप्लाई करने की एवज मे मांगी थी मोटी कमीशन !

राधेश्याम मिश्र (राष्ट्रीय दिया समाचार) गोंडा

गोंडा के बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) अतुल कुमार तिवारी फर्नीचर आपूर्ति के ठेके में 2.25 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने और 30 लाख रुपये एडवांस लेने के आरोप में फंस गए हैं। उनकी कंपनी ने गोंडा के 564 उच्च प्राथमिक और संकुल विद्यालयों के लिए फर्नीचर सप्लाई के टेंडर में एल-1 घोषित की गई थी। आरोप है कि बीएसए ने अपने अधीनस्थों के साथ मिलकर इस काम के लिए 15 प्रतिशत कमीशन मांगा था।

विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) विपिन कुमार तृतीय की अदालत ने बीएसए और दो जिला समन्वयकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि यह रुटीन प्रकृति का नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार का गंभीर मामला है‌ । वही बीएसए अतुल कुमार तिवारी ने इन आरोपों को निराधार बताया है और कहा है कि फर्नीचर आपूर्ति के लिए कंपनी द्वारा लगाए गए दस्तावेज फर्जी थे, इसलिए टेंडर रद्द किया गया था ।

बता दें कि मोतीगंज क्षेत्र के किनकी गांव निवासी मनोज पांडेय नीमन सीटिंग सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के एमडी हैं। उन्होंने गोरखपुर स्थित भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट में अपील की है कि उनकी कंपनी गोंडा के 564 उच्च प्राथमिक और संकुल विद्यालयों के लिए फर्नीचर सप्लाई के टेंडर में एल-1 (सबसे कम दर देने वाली फर्म) घोषित की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि बीएसए अतुल कुमार तिवारी, जिला समन्वयक (जेम) प्रेमशंकर मिश्र और जिला समन्वयक (सिविल) विद्याभूषण मिश्र ने 15% कमीशन के रूप में 2.25 करोड़ की मांग की।

चार जनवरी 2025 को बीएसए ने अपने राजकीय हाउसिंग कॉलोनी स्थित आवास पर बुलाकर उनसे 30 लाख रुपये (22 लाख बीएसए को और चार-चार लाख दोनों समन्वयकों को) लिए। बाद में शेष रकम न देने पर फर्म को दो वर्ष के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया गया। मनोज ने अदालत में व्हाट्सएप चैट व अन्य साक्ष्य प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि जब दिए गए रुपये वापस मांगे तो प्रेमशंकर मिश्र ने एक लाख रुपये लौटा दिए, लेकिन बीएसए और डीसी सिविल ने मना कर दिया।अदालत में बीएसए व समन्वयक ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कंपनी ने टेंडर में फर्जी दस्तावेज लगाए। अनुभव प्रमाणपत्र में दर्शाई गई राशि 5.91 करोड़ के बजाय 9.86

लाख थी। इसी तरह कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में टर्नओवर 19.54 करोड़ दिखाया। असल टर्नओवर 14.54 करोड़ रहा। इन अनियमितता के कारण फर्म को ब्लैकलिस्ट किया गया।दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) विपिन कुमार तृतीय ने माना कि आवेदक के आरोप प्रथमदृष्टया संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आते हैं। अदालत ने 31 अक्तूबर 2025 को आदेश पारित करते हुए कोतवाली नगर गोंडा के प्रभारी निरीक्षक को तीनों अधिकारियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया।अब आगे की कार्रवाई क्या होगी और इस मामले में कौन-कौन शामिल हैं, यह देखने वाली बात होगी।

You may have missed

Share