June 19, 2025

rashtriyadiyasamachar

एक राष्ट्र, एक विधान, एक नजर,एक खबर

उत्तराखण्ड पुलिस के “ऑपरेशन स्माइल” से लौटी 2509 परिवारों की मुस्कान, परिजनों ने की सराहना,अब तक का सबसे सफल अभियान, वर्ष 2024 में रिकार्ड 2509 गुमशुदाओं को किया बरामद l

 

आज *पुलिस महानिदेशक, उत्तराखण्ड दीपम सेठ* द्वारा पुलिस मुख्यालय में *“ऑपरेशन स्माइल” की समीक्षा* की गयी, जिसमें समस्त जनपद प्रभारी (ऑनलाइन), टीम प्रभारी, वरिष्ठ अधिकारीगण एवं अभियान में भागीदार संस्थाओं के प्रतिनिधि सहित गुमशुदाओं के परिजन सम्मिलित हुए। नोडल अधिकारी/पुलिस उपाधीक्षक (अपराध) श्री अभिनय चौधरी द्वारा अभियान की कार्यवाही, उपलब्धियों एवं अनुभवों की जानकारी प्रस्तुत की गई।

*“ऑपरेशन स्माइल” के पहले चरण (माह 01 मई से 30 जून) में 1370 व दूसरे चरण (15 अक्टूबर 2024 से 15 दिसम्बर 2024) में 1139 गुमशुदाओं (कुल 2509) को बरामद किया गया।* इसका उद्देश्य गुमशुदा बच्चों, महिलाओं और पुरुषों की तलाश कर उनके विरुद्ध होने वाले अपराधों की रोकथाम तथा उन्हें अपराधों में संलिप्त होने से रोकना था। अभियान की सफलता इस तथ्य से स्पष्ट होती है कि इसमें *रिकार्ड 2509 गुमशुदा व्यक्तियों को खोजा गया – जिनमें 845 बच्चे, 709 पुरुष एवं 955 महिलाएं शामिल हैं।*

 

इस अभियान के अंतर्गत प्रदेश के प्रमुख जनपदों – देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर व नैनीताल में 4-4 तथा अन्य जनपदों एवं रेलवे में 1-1 टीम गठित कर कुल *26 खोज टीमों* का गठन किया गया। प्रत्येक टीम में महिला पुलिसकर्मी की नियुक्ति की गई, *अभियोजन अधिकारीगण द्वारा विधिक सहायता और डी.सी.आर.बी. द्वारा तकनीकी सहयोग प्रदान किया गया, जिससे अभियान कानूनी और तकनीकी रूप से भी सशक्त बना।*

 

टीमों ने गुमशुदा व्यक्तियों के परिजनों से मिलकर जानकारी संकलित की, *उत्तराखण्ड सहित अन्य राज्यों में जाकर खोजबीन* की। साथ ही, प्रदेश एवं सीमावर्ती राज्यों में मिले *लावारिस शवों से गुमशुदाओं का मिलान* भी कराया गया। *अभियान के दौरान कई मामलों में वर्षों से लापता व्यक्तियों को उनके परिवारों से पुनः मिलाया गया, जिससे अनेक परिवारों में भावनात्मक पुनर्मिलन हुआ।*

 

*डीजीपी श्री दीपम सेठ ने अपने संबोधन में कहा कि “ऑपरेशन स्माइल केवल एक पुलिस कार्यवाही नहीं, बल्कि यह एक मानवीय प्रयास है, जो परिजन वर्षों से अपने अपनों की प्रतीक्षा कर रहे थे उन परिवारों के लिए आशा की नई किरण बना है । उत्तराखण्ड पुलिस की यह सफलता उसकी संवेदनशीलता और सेवा भाव का प्रमाण है। हमारी प्राथमिकता केवल गुमशुदा व्यक्तियों की खोज नहीं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि वे पुनः सुरक्षित जीवन जी सकें और किसी भी अपराध का शिकार न बनें।”*

 

उन्होंने बताया कि ऑपरेशन स्माइल वर्ष 2015 से लगातार संचालित किया जा रहा है, जिसमें साल दर साल उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है। *पिछले 10 वर्षों में इस अभियान में 3331 बच्चे, 1627 पुरुष, 2162 महिलाएं सहित कुल 7120 गुमशुदाओं को बरामद कर सकुशल उनके परिजनों के सुपुर्द किया जा चुका है।* सीमित संसाधनों के बावजूद पुलिस टीमों ने अपनी कार्यशैली, प्रतिबद्धता और समर्पण से इस अभियान को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया है।

 

भविष्य में इस अभियान को और अधिक प्रभावशाली बनाने हेतु अगले चरण की शीघ्र शुरुआत की जाएगी, जिसमें *नेटग्रिड सहित अन्य Advance Technology के उपयोग से पुराने मामलों की भी पुनः समीक्षा कर वर्षों से लंबित गुमशुदगी के मामलों में बरामदगी के हर सम्भव प्रयास किये जाएंगे।*

 

*“ऑपरेशन स्माइल” उत्तराखण्ड पुलिस की मानवीय सोच, कर्तव्यपरायणता और समाज के प्रति उत्तरदायित्व का उदाहरण बन चुका है, जो न केवल मुस्कान लौटाता है, बल्कि भरोसे को भी फिर से मजबूत करता है।*

 

*पुलिस महानिदेशक महोदय द्वारा परिजनों एवं बच्चों के साथ संवाद किया और बच्चों को उपहार भी भेंट किये।*

 

समीक्षा बैठक में विभन्न जनपदों के टीम प्रभारियों ने अपने अनुभव साझा किए। *कई परिजनों ने भी उत्तराखण्ड पुलिस के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने जिस उम्मीद को खो दिया था, उसे पुलिस ने फिर से जगा दिया और अपनों से हमें मिला दिया।*

 

*इस अवसर पर अभियान में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पुलिस कर्मियों को डीजीपी महोदय द्वारा प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।*

उक्त समीक्षा गोष्ठी में *श्री वी. मुरुगेशन, अपर पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था उत्तराखंड, श्री नीलेश आनन्द भरणे, पुलिस महानिरीक्षक, अपराध एवं कानून व्यवस्था, श्री धीरेन्द्र गुंज्याल, पुलिस उप महानिरीक्षक, अपराध एवं कानून व्यवस्था, श्रीमती कमलेश उपाध्याय, पुलिस अधीक्षक अपराध एवं कानून व्यवस्था*, सहित अन्य पुलिस अधिकारी उपस्थित रहे।

 

You may have missed

Share