January 3, 2025

rashtriyadiyasamachar

एक राष्ट्र, एक विधान, एक नजर,एक खबर

महिलाओं की सुरक्षा के लिए विभिन्न कदम उठाने की जरूरत को महसूस करते हुए आरुषि सुंदरियाल ने मेयर प्रत्याशी बनने का किया फैसला, युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता आरुषि सुंदरियाल ने निर्दलीय मेयर प्रत्याशी के रूप मे किया नामांकन। 

 

, युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता आरुषि सुंदरियाल ने निर्दलीय मेयर प्रत्याशी के रूप में नामांकन किया है । आरुषि के नामांकन के बाद, आरुषि ने उत्तराखंड कांग्रेस नेतृत्व के रवैये से अपने नाराज़ीभाषी स्वर में विरोध जताया है। आरुषि ने अपने पक्ष में ओपचारिक बयान जारी किया और बताया कि उन्हें अनपे हुए जानलेवा हमले और कांग्रेस पार्टी से अनौपचारिक रूप से जूड लोगो के उसके घर में डाकाती डाले जाने के बाद उत्तराखंड कांग्रेस नेतृत्व के रवैये से काफी असंतुष्ट है।

 

दरअसल कांग्रेस में अंतरकलह और गुटबाज़ी देखने को मिलती रहती है, पूरा मामला सोनिया आनंद रावत और आरुषि सुंद्रियाल के गुटो में नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के टिकटो की दावेदारी के झगड़े से शुरू हुआ था जो अब प्रचंड रूप ले चूका है। जिस कारण से आरुषि को भारी नुक्सान उठाना पड़ा है, अब आरुषि के मुताबिक सोनिया आनंद रावत और उसके गिरोह के खिलाफ थाना डालनवाला में पहले से ही एक मामला दर्ज किया गया है जिसे अब डालनवाला थाना पुलिस की लापरवाही के कारण आरुषि के अनुरोध पर नेहरू कॉलोनी थाने में स्थानांतरित कर दिया गया है। उत्तराखंड कांग्रेस नेतृत्व ने पूरे मामले को नजरअंदाज किया, यह महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में उनकी असंवेदनशीलता को दर्शाता है। आरुषि ने बताया कि 20 अगस्त 2024 को उन्हें अपनी जान बचाने के लिए उस समय पहने हुए नाइट सूट में अपने घर से भागना पड़ा, जिसके बाद उनके घर का ताला तोड़कर जामकर लूटपाट की गई और उसके सभी निजी और व्यावसायिक सामान जो कुछ बी बचा था अभी भी अपराध स्थल वाले अपार्टमेंट में सीज़ हुए और अभी तक उनके पास अपना कोई भी सामान नहीं हैं। राजनीतिक प्रभाव के कारण ऐसे प्रभावशाली लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाना उनके लिए बहुत मुश्किल था। सिर्फ एफआईआर दर्ज कराने के लिए उन्हें 5 दिनों तक संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने 2013 में डीएवी कॉलेज से चुनाव लड़ा था और तब से कांग्रेस के लिए काम कर रही थीं। कांग्रेस के प्रति उनके समर्पण के बदले में उत्तराखंड कांग्रेस नेतृत्व ने ऐसी त्रासदी के बाद उन्हें पार्टी से बाहर करने की कोशिश की थी, लेकिन शुक्र है कि वे ऐसा नहीं कर सके क्योंकि वह पहले से ही राष्ट्रीय युवा कांग्रेस नेतृत्व में एक मजबूत पद धारक थीं। जब उत्तराखंड कांग्रेस नेतृत्व अपनी ही पार्टी की महिलाओं के प्रति इतना क्रूर हो सकता है तो अन्य महिलाओं के मामले में कांग्रेस से क्या उम्मीद कर सकते हैं और सत्तारूढ़ दल के रूप में भाजपा के शासन में पुलिस विभाग की धीमी कार्रवाई के कारण इस मामले के अपराधी अभी भी आज़ाद हैं, इसलिए यह महिलाओं को अपराधियों से बचाने में भाजपा और कांग्रेस दोनों की विफलता प्रतीत होती है।

 

आरुषि ने अपने दुर्भाग्यपूर्ण अनुभव के बाद महिलाओं की सुरक्षा के लिए विभिन्न कदम उठाने की जरुरत को महसूस किया है। 

जैसे की अपराध से प्रभावित महिलाओं के लिए अस्थायी राहत आश्रय स्थापित करना। इसके चलते, वह देहरादून शहर में आगामी मेयर चुनाव में भाग लेने का फैसला किया है। आरुषि ने कहा, “मेरे क्षेत्र में राजनीतिक दल महिलाओं को केवल वोट बैंक के रूप में देखते हैं और उनकी सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए कोई कदम नहीं उठाते हैं। मैं खुद को एक मजबूत मेयर चुनाव प्रतियोगी के रूप में देखता हूं, जो जिम्मेदारी लेने में सक्षम है और इसलिए मैं खुद को एक सुशिक्षित उम्मीदवार विकल्प के रूप में जनता के सामने पेश करना चहति हूं।”

Share