सिलक्यारा टनल मे फंसे मजदूरो को लेकर आप सभी ने टीवी अखबार और शोसल मीडिया के माध्यम से खबरे देखी होगी लेकिन एसडीएम प्रतापनगर शैलेंद्र सिंह नेगी ने उस घटना को अपनी लेखनी से जो सिलसिलेवार बारीकी से लिखा है उसे पढने के बाद आपको घटना और बचाव की पूरी जानकारी हो जायेगी कि किस क्षण क्या घटा था आपको बता दे कि नेगी जी एक कुशल प्रशासक तो है ही लेखनी के भी धनी है ।
साथियों,
मैं दिनांक 17 नवंबर 2023 को जिलाधिकारी महोदय टिहरी गढ़वाल के साथ क्षेत्रीय भ्रमण में था । तभी जिलाधिकारी महोदय को कमिश्नर/ सचिव मुख्यमंत्री महोदय द्वारा सिल्क्यारा में आपदा राहत एवं बचाव कार्य हेतु एक एसडीएम को कार्यमुक्त करने के निर्देश दिए गए। जिलाधिकारी महोदय द्वारा मेरे समक्ष यह बात की गई तो मैंने स्वेच्छा से इसमे योगदान देने के लिए अपनी इच्छा जाहिर की। जिलाधिकारी महोदय द्वारा सहमति व्यक्त की गई और आयुक्त महोदय को इस संबंध में सूचना दी गई। मैं तत्काल रेस्क्यू ऑपरेशन में भाग लेने के लिए घनसाली से निकल पड़ा । घनसाली – चंबा- कंडीसौड होते हुए रात्रि लगभग 8:00 बजे चिन्यालीसौड़ पहुंचा। रात्रि विश्राम चिन्यालीसौड़ किया गया।
चिन्यालीसौड़ पहुंचते ही मुझे श्री मंगेश घिल्डियाल सर उपसचिव प्रधानमंत्री कार्यालय का फोन आया कि सिल्क्यारा में ऑपरेशन में कार्य करने वाले सभी कार्मिकों के लिए भोजन की व्यवस्था की जानी है । इस संबंध में आपको हंस फाउंडेशन से संपर्क कर यह सुनिश्चित करना है। निर्देश प्राप्त होते ही मेरे द्वारा हंस फाउंडेशन के श्री विकास वर्मा , श्री जगमोहन आज़ाद एवं श्री चेतन नेगी से संपर्क कर भोजन की व्यवस्थाएं सुनिश्चित कराई गई। दिनाँक 18 नवंबर 2023 को सिल्क्यारा के निकट श्री पप्पू नौटियाल के घर में स्थानीय पटवारी एवं तहसीलदार के सहयोग से भोजन हाल तैयार कराया गया तथा पानी, रास्ता आदि सुनिश्चित कराया गया। दिनांक 18 नवंबर से हंस फाउंडेशन द्वारा नियमित रूप से सिल्क्यारा में भोजन की व्यवस्था कर ली गई। पहले 150 लोगों की के नाश्ता दिन का भोजन तथा रात्रि भोजन करने की बात हुई थी किंतु हंस फाउंडेशन की बेहतरीन भोजन व्यवस्था से प्रभावित होकर समस्त उपस्थित मीडिया , अधिकारी ,कर्मचारी, पुलिस बल, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, आइटीबीपी, कंपनी के कार्मिक, टनल में फंसे श्रमिकों के परिजन तथा अन्य उपस्थित लोगों द्वारा भोजन किया गया जिनकी संख्या हजार तक पहुंच गई लेकिन हंस फाउंडेशन ने निस्वार्थ भाव से भोजन व्यवस्था करते हुए सभी का मनोबल ऊंचा रखा।
हंस फाउंडेशन के श्री कमलेश रावत एवं श्री भरत सिंह खत्री द्वारा मेरे संज्ञान में लाया गया कि उनके पास 30 सेट कंबल, जैकेट, ट्रैकसूट, इनर, ग्लव्स, सॉक्स, शूज , टोपी आदि उपलब्ध है, जिन्हें जरूरतमंदों को भेंट किया जा सकता है । मेरे द्वारा यह सूचना श्री मंगेश घिल्डियाल सर तथा जिलाधिकारी महोदय उत्तरकाशी को दी गई । प्राप्त निर्देशों के अनुसार जिला पर्यटन विकास अधिकारी उत्तरकाशी श्री जसपाल सिंह चौहान को टनल में फंसे हुए लोगों के परिजनों को यह कपड़ों का सेट वितरित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। बाद में हंस फाउंडेशन द्वारा 41 फंसे हुए श्रमिकों के लिए भी इसी प्रकार से कपड़ों का सेट भेंट किया गया।
सिल्क्यारा टनल रेस्क्यू के अंतर्गत मुझे श्री अभिषेक रुहेला जिलाधिकारी महोदय उत्तरकाशी द्वारा प्रातः 6:00 बजे से सिल्क्यारा में समस्त व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी सौंपी गई जिसमें प्रमुख रूप से मीडिया सेंटर समन्वय, मीडिया बैरियर, प्रोटोकॉल संबंधी कार्य, आपदा कंट्रोल रूम, टनल बैरियर, टनल के अंदर रेस्क्यू कार्य की रिपोर्टिंग एवं समन्वय, टनल से फंसे हुए श्रमिकों के लिए भोजन ,पानी आदि भेजना, श्रमिकों से परिजनों को फोन से बातचीत करवाना, सिल्क्यारा में कॉन्फ्रेंस हॉल एवं ऑफिस समन्वय संबंधी कार्य, हंस फाउंडेशन के साथ भोजन व्यवस्था, सिल्क्यारा अस्थाई अस्पताल के माध्यम से श्रमिकों एवं राहत बचाव कार्य में लोगों के स्वास्थ्य संबंधी समन्वय के साथ समय-समय पर सौंपे गए विभिन्न कार्य आदि महत्वपूर्ण कार्य करने होते थे।
प्रत्येक सुबह लगभग 5:30 बजे तक साइट पर पहुंचना होता था और रात के 10.00 या 11:00 बज जाते थे।समय का पता नहीं चलता था। श्री मुकेश रमोला उप जिलाधिकारी बड़कोट उत्तरकाशी द्वारा रात्रि मजिस्ट्रेट के रूप में इन्हीं दायित्वों का निर्वहन किया जाता था।
शुरू के 2 दिन मेरे द्वारा उत्तराखंड जल विद्युत निगम चिन्यालीसौड़ में रुकने की व्यवस्था की गई किंतु बाद में कृष्णा होटल ब्रह्मखाल में रुकने की व्यवस्था की गई।
प्रारंभ के दिनों में श्रमिकों को भोजन 4 इंच के पाइप से भेजा जाता था जिसमें काजू ,बादाम, किशमिश, छुहारा, मुरमुरे, नमकीन, भीगे हुए चने, बिस्कुट आदि को पाइप में दाना -दाना करके भरा जाता था और फिर पाइप के नट बोल्ट को कसकर कंप्रेसर के माध्यम से हवा डाली जाती थी। दूसरे छोर में वह भोजन हवा के माध्यम से दाना -दाना करके गिरता था। इसी पाइप के माध्यम से श्रमिकों से बातचीत होती थी । चिकित्सकों एवं मनोचिकित्सकों द्वारा उनके स्वास्थ्य एवं मन: स्थिति की जानकारी एवं परीक्षण किया जाता था ।
यदि बातचीत करनी हो तो पाइप में मुंह लगाकर आवाज देते थे जो थोड़ी देर बाद दूसरी छोर में पहुंचती थी और फिर दूसरे छोर से आवाज आती थी तो यहां पाइप से कान लगाकर सुनना होता था । बातचीत का यह तरीका बहुत अधिक समय लेने वाला तथा स्पष्ट नहीं था फिर भी उन परिस्थितियों में यही एकमात्र एवं बेहतरीन विकल्प था ।
दिनांक 20 नवंबर 2023 से 6 इंच का पाइप डालने के उपरांत खिचड़ी, दलिया, दाल, दूध आदि भेजा जाने लगा। फोन की सुविधा भी उपलब्ध हो गई । इस पाइप के माध्यम से एक रस्सी को आर पार किया गया। बिसलेरी बोतल के ऊपरी हिस्से को काटकर उसमें भोजन या आवश्यक वस्तुएं भरी जाती थी और फिर सेलो टेप से सील करते थे। उस बोतल को रस्सी से टेप द्वारा टाइट लपेट लिया जाता था और लड़ी बनाकर रस्सी के सहारे दूसरे छोर को भेजा जाता था। ध्यान रखना होता था कि सभी आइटम आर पार हो जाए ताकि बीच में न फंसे। भेजने से पहले दूसरे छोर में मैसेज भेजा जाता था कि रस्सी को खींच लीजिए। दूसरे छोर पर श्रमिक रस्सी को खींचते थे और अपना भोजन, दवाइयां एवं अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुएं यथा टूथब्रश, पेस्ट, साबुन, हैंड टॉवल, अंडरवियर, बनियान, पैजामा, टी-शर्ट आदि निकाल लेते थे । जब पूरा सामान निकाल लेते थे तब उस तरफ से संदेश आता था कि रस्सी को खींच लीजिए और फिर रस्सी को इधर से खींच लिया जाता था ।
इसी पाइप के माध्यम से टेलीफोन की लाइन भी भेजी गई। श्री मणिकांत मिश्रा कमांडेंट एसडीआरएफ के निर्देशन पर एसडीआरएफ टीम यह दायित्व निभा रही थी । श्रमिकों तथा उनके परिजनों से प्रतिदिन बातचीत कराई जाती थी । मैं स्वयं प्रतिदिन श्रमिकों से बातचीत करता था और उनका हौसला अफजाई करता था । खास बात है कि सभी श्रमिक बड़े खुशमिजाज लगते थे और किसी भी प्रकार से ऐसा नहीं लगता था कि किसी मुसीबत से घिरे हुए हैं ।उनकी हिम्मत एवं हौसला सराहनीय एवं अनुकरणीय होती थी। श्री गवर सिंह नेगी, श्री सबा अहमद तथा श्री विश्वजीत टनल के अंदर टीम लीडर की भूमिका में थे।
टनल में फंसे हुए श्रमिकों के परिजनों के लिए जिला प्रशासन द्वारा विशेष व्यवस्था की गई थी। श्री जसपाल सिंह चौहान जिला पर्यटन विकास अधिकारी उत्तरकाशी ,श्री सचिन कुमार भूमि संरक्षण अधिकारी उत्तरकाशी तथा श्रम प्रवर्तन अधिकारी उत्तरकाशी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई थी। सभी परिजनों को चिन्यालीसौड़, ब्रह्मखाल आदि स्थानों में होटल में रुकवाया गया था। निशुल्क भोजन की व्यवस्था की गई थी । मोबाइल रिचार्ज की भी सुविधा दी गई थी। आने जाने के लिए वाहन की सुविधा भी दी गई थी। हंस फाउंडेशन के माध्यम से उन्हें निशुल्क कंबल एवं कपड़ों का सेट भी दिया गया। परिजनों की प्रतिदिन श्रमिकों के साथ बात करवाई जाती थी। उन्हें किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं थी तथा उनके द्वारा कभी भी कोई शिकायत नहीं की गई। श्री जयमल सिंह नेगी, जो श्री गबर सिंह नेगी के बड़े भाई है , टनल के पास किसी निजी घर में रह रहे थे तथा सबसे अधिक सक्रिय थे। श्री जयमल सिंह नेगी पहले दिन से अंतिम दिन तक मौके पर डटे रहे तथा रेस्क्यू टीम को भी अपना फीडबैक एवं मार्गदर्शन प्रदान करते रहे। भाईचारे की मिसाल के रूप में मैंने उन्हें पाया।
जिला प्रशासन उत्तरकाशी द्वारा टनल रेस्क्यू साइट पर दूरसंचार की व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए विशेष उपाय किए गए। जिओ, एयरटेल और बीएसएनएल के अतिरिक्त टावर लगाए गए तथा इच्छुक व्यक्तियों के लिए सिम की व्यवस्था की गई ।
आपदा कंट्रोल रूम का प्रभार श्री देवेंद्र सिंह पटवाल जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी उत्तरकाशी तथा श्री जय पवार समन्वयक आपदा कंट्रोल रूम उत्तरकाशी के पास था । प्रतिदिन तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगाई गई थी जिसमें एक अधिशासी अभियंता के साथ दो अन्य इंजीनियर को रखा गया था जिनका कार्य प्रतिदिन की रिपोर्टिंग लेना तथा संबंधित नोडल अधिकारी / एसडीएम से वेरीफाई करवाते हुए जिलाधिकारी महोदय के समक्ष प्रस्तुत करना होता था । इस प्रकार प्रतिदिन की रिपोर्ट शिफ्ट वाइज तैयार की जाती थी। प्रारंभ में रेस्क्यू एवं बचाव के लिए छह प्लान पर कार्य किया जा रहा था किंतु बाद में कुछ अन्य प्लान भी सम्मिलित किए गए।
विभिन्न केंद्रीय एवं राज्य स्तर की एजेंसियां इस मिशन में शामिल थी । प्रारंभ में जिलाधिकारी उत्तरकाशी महोदय समन्वय का कार्य कर रहे थे किंतु बाद में शासन स्तर से डॉ नीरज खैरवाल सर,सचिव, उत्तराखंड शासन को समन्वय एवं नोडल अधिकारी का जिम्मा सौंपा गया। प्रधानमंत्री कार्यालय से श्री भास्कर खुल्बे सर,पूर्व सलाहकार माननीय प्रधानमंत्री एवं विशेष कार्यकारी अधिकारी मुख्यमंत्री उत्तराखंड,श्री मंगेश घिल्डियाल उपसचिव मा0 प्रधानमंत्री कार्यालय इस अभियान में लगातार मौके पर बने रहे ।
माननीय मुख्यमंत्री महोदय उत्तराखंड सरकार द्वारा अपना अस्थाई कार्यालय मातली उत्तरकाशी में बनाया गया तथा लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन की समीक्षा एवं मॉनिटरिंग करते रहे। केंद्रीय भूतल परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी जी, केंद्रीय राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह सर तथा श्री प्रेमचंद अग्रवाल, प्रभारी मंत्री उत्तरकाशी भी नियमित रूप से टनल रेस्क्यू ऑपरेशन कार्य की मॉनिटरिंग करते रहे। प्रधान सचिव माननीय प्रधानमंत्री ,मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन, सचिव भूतल परिवहन मंत्रालय भारत सरकार ,अपर सचिव एवं एमडी राष्ट्रीय राजमार्ग, सचिव आपदा प्रबंधन उत्तराखंड शासन आदि भी नियमित रूप से रेस्क्यू ऑपरेशन की समीक्षा एवं मॉनिटर करते रहे । क्षेत्रीय विधायक गंगोत्री श्री सुरेश चौहान, यमुनोत्री श्री संजय डोभाल एवं पुरोला श्री दुर्गेश्वर लाल के साथ जिला अध्यक्ष उत्तरकाशी श्री सत्येंद्र सिंह राणा एवं उनकी टीम इस अभियान में लगातार बन रहे।
टनल विशेषज्ञ अर्नाल्ड डिक्स सहित विभिन्न संस्थाओं के भू वैज्ञानिक, भूगर्भ शास्त्री, टनल विशेषज्ञ ,वरिष्ठ इंजीनियर आदि भी लगातार मौके पर उपस्थित रहे।
श्री अर्पण यदुवंशी पुलिस अधीक्षक उत्तरकाशी के नेतृत्व में श्री सुरेंद्र सिंह भंडारी सीओ बड़कोट, श्री अनुज कुमार सीओ उत्तरकाशी तथा श्री प्रशांत कुमार सीओ ऑपरेशन उत्तरकाशी द्वारा मौके पर शांति व्यवस्था के लिए पर्याप्त पुलिस बल के साथ व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई थी। एनडीआरफ, एसडीआरएफ, आइटीबीपी, आर्मी, उत्तराखंड पुलिस, आदि बल मौके पर मुस्तैद रहा।
सिल्क्यारा मे देश भर का मीडिया मौजूद रहा जिनके द्वारा 24 घंटे की रिपोर्टिंग की जाती रही। दिन में एक या दो बार प्रेस कॉन्फ्रेंस की जाती थी। समय-समय पर उच्च अधिकारियों द्वारा मीडिया से रूबरू होते हुए कार्य की प्रगति की अपडेट दी जाती थी। श्री बंशीधर तिवारी महानिदेशक सूचना एवं लोक संपर्क विभाग उत्तराखंड के निर्देशन में श्री कीर्ति पवार जिला सूचना अधिकारी उत्तरकाशी, श्री ऋतिक भंडारी मीडिया कोऑर्डिनेटर देहरादून एवं उनके साथी मौके की फोटो एवं वीडियो लेते रहे तथा मीडिया को अपडेट करते रहे।
इस अभियान में बहुत से ऐसे स्वयंसेवी एवं विशेषज्ञ भी उपस्थित हुए जिन्होंने देश में कहीं न कहीं कुछ विशेष कार्य किया था। श्री सुरेंद्र राजपूत निवासी दिल्ली जिन्होंने 2006 में प्रिंस नाम के बच्चे को बोरवेल से निकाला था , भी शुरू से अंत तक मौके पर डटे रहे तथा अपना तकनीकी एवं मैकेनिकल अनुभव टीम को देते रहे। अन्य कई ऐसे व्यक्ति सम्मिलित हुए जो कुछ न कुछ आईडिया एवं अनुभव शेयर करते थे। इस मिशन में एनएचआईडीसीएल, ओएनजीसी, सतलज जल विद्युत निगम, सीमा सड़क संगठन, रेलवे विकास निर्माण निगम, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया, मद्रास इंजीनियरिंग ,भारतीय खान विभाग दि एजेंसियां विभिन्न प्लान पर काम कर रही थी । ड्रोन, रोबोट आदि तकनीकी का उपयोग भी किया जा रहा था।
इगास लोक पर्व के दिन टनल विशेषज्ञों द्वारा कार्य संपन्न होने की संभावना व्यक्त की गई थी किंतु औगर मशीन के गार्डर में क्षतिग्रस्त होने के कारण सफलता प्राप्त नहीं हो सकी। इसी प्रकार 24 नवंबर 2023 को भी कार्य संपन्न होने की संभावना व्यक्त की गई थी किंतु औगर मशीन एवं डाले गए पाइप के क्षतिग्रस्त होने के कारण सफलता प्राप्त नहीं हुई । जिस कारण पाइप को काटना एवं प्लाज्मा कटर की मदद लेना आदि कार्य किए गए।
श्रमिकों के टनल से बाहर निकलने के दौरान की जाने वाली आवश्यक तैयारियां की कार्य योजना तैयार की गई। टनल के अंदर की जिम्मेदारी मुझे सौंपी गई थी जिसमें कम से कम 8 बेड का अस्थाई अस्पताल बनाना, श्रमिकों की वापसी के समय आवश्यक व्यवस्थाएं करना जैसे शौचालय व्यवस्था,चेंजिंग रूम तैयार करवाना, हंस फाउंडेशन के माध्यम से कपड़ा उपलब्ध कराना, प्रारंभिक चिकित्सीय परीक्षण, प्रत्येक एम्बुलेंस में एक श्रमिक एक परिजन तथा एक पुलिसकर्मी को सहयोग के लिए बिठाना, मिष्ठान वितरण, फूलमाला व्यवस्था, मीडिया मैनेजमेंट, कानून एवं शांति व्यवस्था बनाए रखना आदि की जिम्मेदारी सौंप गई थी । मुख्य बैरियर में कानून एवं शांति व्यवस्था की जिम्मेदारी श्री मनीष कुमार सिंह डिप्टी कलेक्टर हरिद्वार तथा श्री अखिलेश मिश्रा जिला कार्यक्रम अधिकारी को सौंपी गई थी । प्रत्येक एंबुलेंस में खाद्य पदार्थ एवं पानी की व्यवस्था की जिम्मेदारी श्री तेजबल सिंह जिला पूर्ति अधिकारी हरिद्वार तथा श्री संतोष कुमार भट्ट जिला पूर्ति अधिकारी उत्तरकाशी को सौंपी गई थी। श्रमिकों के चिन्यालीसौड़ मार्ग पर एंबुलेंस में एस्कॉर्ट की जिम्मेदारी श्री बृजेश कुमार तिवारी उप जिलाधिकारी dunda उत्तरकाशी को सौंपी गई थी। इसी प्रकार चिन्यालीसौड़ की संपूर्ण जिम्मेदारी श्री गौरव कुमार मुख्य विकास अधिकारी उत्तरकाशी की देखरेख में एयरपोर्ट की जिम्मेदारी श्री चतर सिंह चौहान उप जिलाधिकारी भटवाड़ी उत्तरकाशी जबकि चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की जिम्मेदारी श्री तीरथ पाल सिंह एडीएम उत्तरकाशी को सौंपी गई थी। मौके पर स्वास्थ्य विभाग के टीम डॉ भंडारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी उत्तरकाशी के नेतृत्व में सिल्क्यारा एवं चिन्यालीसौड़ में स्टेट आपदा कंट्रोल रूम के प्रभारी श्री विमलेश जोशी के साथ तैयार रखी गई थी।
दिनांक 26 नवंबर एवं 27 नवंबर 2023 को श्री सेम नागराजा की त्रिवार्षिक भव्य जात एवं मेला आयोजित होने के कारण मुझे उच्च स्तर से आदेश हुआ कि मैं दो दिन अभियान से मुक्त होकर मेला संपन्न करवा कर वापस आऊँ। फल स्वरुप में श्री सेम नागराजा जात एवं मेला संपन्न करवाने निकल गया। श्री देवेंद्र सिंह नेगी उप जिलाधिकारी नरेंद्र नगर को मेरे स्थान पर रेस्क्यू कार्य के लिए भेजा गया ।जिलाधिकारी महोदय उत्तरकाशी ने चलते समय मुझ से अपेक्षा की कि मैं श्री नागराजा में श्रीफल चढ़ा दूँ ताकि टनल रेस्क्यू का कार्य आसानी से संपन्न हो सके।
दिनांक 26 नवंबर 2023 को रात्रि के समय मुझे श्री नागराजा के दर्शन का अवसर मिला । थाना अध्यक्ष लंबगांव के साथ मैंने श्री सेम नागराजा में सिल्क्यारा टनल रेस्क्यू की सफलता एवं श्रमिकों की सकुशल वापसी के लिए श्रीफल, प्रसाद और दक्षिणा भेंट की तथा पूजा अर्चना की।
27 नवंबर को मेला संपन्न हुआ। 28 नवंबर 2023 को टनल रेस्क्यू का कार्य में सफलता प्राप्त हुई। जैसे ही श्रमिकों के बाहर आने की सूचना प्राप्त हुई। थाना अध्यक्ष लंबगांव द्वारा मुझे फोन पर सूचना दी गई कि श्री सेम नागराजा में की गई पूजा अर्चना सफल हो गई है और श्री सेम नागराजा का आशीर्वाद प्राप्त हो गया है। वास्तव में श्री सेम नागराजा के 9 स्वरूप में बौखनाग भी एक स्वरूप है। कहा जाता है कि 1 वर्ष की जात श्री सेम नागराज मे होती है तो दूसरे वर्ष की जात बौखनाग़ मे होती है।
टनल रेस्क्यू टीम का सदस्य होने के नाते मेरा अनुभव है कि टनल रेस्क्यू की एक नई आपदा से रूबरू हुए और किस प्रकार टनल आपदा राहत एवं बचाव कार्य किया जाना है इसकी प्रारंभिक जानकारी एवं अनुभव प्राप्त हुआ । जीवन में एक बड़े मिशन में कार्य करने का अवसर भी मिला । मेरा हमेशा यह प्रयास रहता है कि इस प्रकार के बड़े मिशन का मैं हिस्सा बन सकूं। विशेष रूप से जब कभी भी राष्ट्र एवं राज्य में कोई बड़ी जिम्मेदारी लेने का अवसर मिलता है तो मुझे उसका हिस्सा होने में गर्व महसूस होता है और मैं अपना शत प्रतिशत योगदान देने का सदैव प्रयास करता हूं।
इस मिशन में सम्मिलित होने के पश्चात पहली बार टनल निर्माण की बारीकियों को समझ पाये। अमेरिकन ऑग़र मशीन से रूबरू हुए। एस्केप लाइन का कॉन्सेप्ट समझ में आया। टनल में काम करने वाले श्रमिकों एवं अन्य कार्मिकों की जोखिम एवं दिक्कतों की जानकारी हुई। इस मिशन में देश की बड़ी से बड़ी मशीनरी मौके पर उपलब्ध हो गई थी। जिनको देखकर देश के पास उपलब्ध संसाधनों की जानकारी भी मिली । केंद्र और राज्य के मध्य संबंध एवं एक दूसरे पर निर्भरता का ज्ञान हुआ। विभिन्न एजेंसियों के एक साथ काम करने तथा उनके मध्य समन्वय की जानकारी प्राप्त हुई । बौखनाग देवता की महत्ता एवं शक्ति का एहसास हुआ।मौके पर लगातार यज्ञ एवं पाठ होते रहे। आस्था, धर्म और विज्ञान का मिश्रित स्वरूप देखने को मिला। रैट माइनर की कार्यशैली देखने को मिली। मानव श्रम एवं मशीनों की अलग-अलग उपयोगिता का ज्ञान हुआ। इस आपदा के बाद टनल निर्माण की नीति एवं सुरक्षा उपायों पर कठोर कानून एवं नियमावली की अपेक्षा रहेगी।
17 दिन की कठिन मेहनत और धैर्य के पश्चात सभी 41 श्रमिक टनल से सकुशल बाहर निकले जिसकी खुशी न केवल इस ऑपरेशन में काम करने वाले कार्मिकों को मिली बल्कि पूरा देश खुशी से झूम उठा। कुशल प्रबंधन एवं मानवता की जीत हुई। केंद्र एवं राज्य सरकार के बेहतरीन समन्वय का भी यह ऑपरेशन सफलतम उदाहरण साबित हुआ।
शैलेंद्र सिंह नेगी
उप जिलाधिकारी घनसाली एवं प्रताप नगर
जनपद टिहरी गढ़वाल
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