गोपेश्वर (चमोली)। 30 मई को सीटू के स्थापना दिवस और आज के दिन 1930 में टिहरी राजशाही की ओर से जनता के वनाधिकार पर किये हमले के विरूद्ध संघर्ष करते हुए तिलाडी में शहीद हुए किसानों की याद में सीटू और किसान सभा इस दिन को किसान मजदूर एकता दिवस में मनाते हुए चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर में एक सेमिनार आयोजित किया गया।
सेमिनार में बोलते हुए किसान सभा के जिला उपाध्यक्ष भूपाल सिंह ने टिहरी राजशाही के जनता पर किये गये अत्याचार और राजशाही के समाप्त होने की घटना के बारे में बताते हुए कहा कि टिहरी राजशाही ने जनता के वनाधिकारों को खत्म करने का षड्यंत्र रचा। जिसके विरुद्ध जनता ने 30 मई 1930 को आजाद पंचायत का गठन करते हुए तिलाडी के मैदान में विशाल जनसभा का आयोजन रखा गया। जिस पर राजा के दीवान चक्रधर जुयाल ने बौखलाहट में भारी गोलाबारी कर दी जिसके कारण सारी जमुना नदी लाल हो गई। सैकड़ो लोग शहीद हो गए और यह संघर्ष यहीं पर नहीं थमा आगे जाकर सन 1948 में नागेंद्र सकलानी, मोलू भरदारी की शहादत के बाद वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के नेतृत्व में राजशाही का अंत होकर भारत संघ में विलय हुआ। उन्होंने कहा कि 90 के दशक से देश में लागू की गई उदारीकरण की नीति ने बड़े पैमाने पर देश में सार्वजनिक क्षेत्र और सरकारी संस्थाओं को तहस-नहस किया और निजीकरण को बढ़ावा दिया। 2014 के बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने अंधाधुंध तरीके से निजीकरण को इस देश में लागू किया और तमाम महत्वपूर्ण क्षेत्र बिजली, बैंकिंग, खदानों, रेलवे प्रतिरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन आदि तमाम क्षेत्रों में सरकारी हस्तक्षेप को तिलांजलि दे दी गई और देशी और विदेशी कॉर्पोरेट घरानों के लिए कौड़ियों के भाव इन्हें बेच दिया गया। इन तमाम जन विरोधी नीतियों के खिलाफ किसान मजदूर को एकजुट होकर इसका प्रबल विरोध करना पड़ेगा। इसके लिए बड़ा जन संघर्ष तैयार करना पड़ेगा।
उन्होने यह भी कहा कि पर्वती क्षेत्र में कृषि भूमि का रकवा दिन प्रतिदिन घटते जा रहा है इसके लिए अभिलंब भूमि का नया बंदोबस्त करने का काम सरकार को अपने हाथ में लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्षों से सिविल और वन भूमि में बसे बसाए लोगों को उजाड़ना बंद किया जाना चाहिए और वर्ष 2006 में अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 पर राज्य सरकार को नियमावली बनाकर लोगों के कब्जे को नियमितकरण करना चाहिए। इस मौके पर भूपाल सिंह रावत, बस्ती लाल, मोहन सिंह रावत, मदन मिश्रा, भारती राणा, जिला मंत्री ज्ञानेंद्र खंतवाल, मुकेश रावत, रघुवीर कोहली, रमेश लाल, प्रकाश चौहान, मीना बिष्ट, गीता बिष्ट, किसान नेता पुरुषोत्तम सती, कुंवर राम, नरेंद्र रावत आदि ने अपने विचार रखे।
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