November 19, 2025

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सीमान्त गावों के विकास एवं पलायन रोकथाम हेतु ठोस कार्ययोजना बनाये जनपद- सचिव ग्राम्य विकास !

 

आज धीराज गर्व्याल, सचिव, ग्राम्य विकास, उत्तराखण्ड शासन द्वारा सभी जनपदों के मुख्य विकास अधिकारियों के साथ वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना, मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास कार्यक्रम तथा वाईब्रेंट विलेजेज कार्यक्रम की प्रगति की विस्तृत समीक्षा की गयी तथा आगामी कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश भी सभी मुख्य विकास अधिकारियों को दिये।

 

बैठक में मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना की प्रगति समीक्षा के साथ ही वित्तीय वर्ष 2025-26 हेतु जनपदों द्वारा प्रस्तावित वार्षिक कार्ययोजना के संबंध में विस्तृत चर्चा एवं विचार विमर्श किया गया। सचिव ग्राम्य विकास श्री धीराज गर्थ्याल द्वारा सभी मुख्य विकास अधिकारियों को निर्देश दिये कि कार्ययोजना प्रस्तावित करते समय आजीविका सृजन संबंधी गतिविधियों को अधिकाधिक प्रस्तावित किया जाये जिसमे प्रत्येक चिन्हित विकासखंड में कम से कम एक-एक मदर पोल्ट्री यूनिट स्थापित करने पर भी यथा आवश्यकता प्रस्तावित करने पर विचार करें ताकि सुदूरवर्ती गावों में पोल्ट्री गतिविधियों हेतु स्थानीय स्तर पर चिक्स उपलब्ध कराये जा सके। यह भी निर्देश दिये कि जिन गावों में मत्स्य पालन, पशुपालन, मधुमक्खी पालन, सामुदायिक पर्यटन, प्रसंस्करण एवं तत्संबधी कियाकलाप संभव हो उन ग्रामों हेतु तदानुसार ही प्रस्ताव प्रस्तावित किये जाये। ग्रामीण क्षेत्रों में जंगली जानवरों से फसल सुरक्षा हेतु चेनलिंक फेंसिग के प्रस्तावों को भी योजना के तहत प्रस्तावित करने के निर्देश दिये गये ताकि इन योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन को रोका जा सके एंव रिवर्स पलायन को बढावा दिया जा सके।

 

प्रस्तावित कियाकलापों के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों का लखपति दीदी बनाये जाने पर विशेष ध्यान दिये जाने के निर्देश दिये गये। इसलिये कार्ययोजना प्रस्तावित करते समय लखपति दीदी बनाये जाने के लक्ष्यों को अवश्य ध्यान रखा जाये ।

 

जनपदों में संचालित ग्रोथ सेन्टरों के उत्पादों के विपणन सुनिश्चित करने एवं इन केन्दो का मुख्य विकास अधिकारी स्तर पर नियमित अनुश्रवण किये जाने के निर्देश भी दिये गये ताकि समूह सदस्यों को लखपति बनाये जाने पर तत्काल कार्यवाही की जा सके।

 

मुख्यमंत्री सीमान्त क्षेत्र विकास कार्यक्रम योजना के तहत सीमान्त जनपद चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ, चम्पावत तथा उ० सि०नगर की योजनाओं की प्रगति समीक्षा की गई तथा सभी जनपदों को निर्देश दिये गये कियान्चित योजनाओं को तत्काल पूर्ण किया जाये। यह भी निर्देश दिये गये कि बार्डर ऐरिया के गावों के विकास हेतु कल्स्टर में गावों के विकास के लिये ग्राम संतृप्तीकरण कार्ययोजना तैयार की जाये जिसमें गावों की मूलभूत

आवश्कताओं की पूर्ति एंव आजीविका विकास तथा स्वरोजगारपरक योजनाओं को प्रस्तावित किया जाये ताकि सीमान्त क्षेत्रों में सतत् आजीविका के साधन उपलब्ध कराते हुये पलायन को रोका जा सके तथा सीमान्त गावों का विकास किया जा सके।

बैठक में सचिव ग्राम्य विकास द्वारा वाइब्रेंट विलेजेज कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा भी की गई तथा भावी कार्ययोजना तैयार करने के संबंध में सीमान्त जनपदों के मुख्य विकास अधिकारियों को निर्देश दिये गये। प्रत्येक सीमान्त गांव को सड़क, 4-जी टेलीकाम कनेक्टिविटी, टेलीविजन कनेक्टिविटी, ग्रिड विद्युतीकरण से संतृप्त किये जाने के निर्देश भी दिये गये। जनपद चमोली, उत्तरकाशी तथा पिथौरागढ़ के मुख्य विकास अधिकारियों को यह भी निर्देश दिये गये कि वी०वी०पी०-1 के गावों हेतु संतृप्तीकरण कार्ययोजना तत्काल पोर्टल के माध्यम से राज्य को प्रेषित की जाये। सीमान्त जनपदों के मुख्य विकास अधिकारियों को प्रत्येक वी०वी०पी० गावों हेतु समेकित पर्यटन विकास योजनाओं को कार्ययोजना में सम्मिलित किये जाने के निर्देश भी दिये गये।

बैठक में मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना तथा मुख्यमंत्री सीमान्त क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत जनपदों से सभी प्रस्ताव ससमय प्राप्त करने हेतु आनलाइन पोर्टल एक सप्ताह के अन्दर कियाशील कर सभी प्रस्ताव राज्य स्तर पर आनलाइन प्राप्त करने हेतु एस०पी०एम०यू० तथा आई०टी०डी०ए० के अधिकारियों को निर्देश दिये गये।बैठक में सभी जनपदों में मुख्य विकास अधिकारी वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से उपस्थित रहे। इस अवसर पर अपर सचिव ग्राम्य विकास श्रीमती अनुराधा पाल, संयुक्त विकास आयुक्त संजय कुमार सिंह, उपायुक्त श्री ए०के०राजपूत, डॉ० प्रभाकर बेबनी, परियोजना प्रबंधन अधिकारी, एस०पी०एम०यू० तथा आई०टी०डी०ए० के अधिकारी उपस्थित रहे।

 

 

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