दिपावली लक्ष्मी पूजन का त्योहार माना जाता है लेकिन दिपावली पूजन के विधि विधान और मंत्रो की जानकारी के आभाव मे सभी को मन इच्छित फल की प्राप्ति नही हो पाती सही दिन सही मंत्रो का जाप कर के लक्ष्मी जी को प्रसन्न कैसै किया जाये इस बारे मे दिया समाचार के पाठको के लिए सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य श्री राकेश गुप्ता सम्पूर्ण जानकारी दे रहे है
श्री महालक्ष्मी पूजन एवं दीपावली का महापर्व कार्तिक अमावस्या में प्रदोष काल एवं अर्धरात्रि व्यापिनी हो तो विशेष रूप से शुभ होती है ।
लक्ष्मी पूजन , दीपदान के लिए प्रदोष काल ही विशेषतः प्रशस्त माना गया है ।
इस वर्ष कार्तिक अमावस्या 24 अक्टूबर सोमवार 2022 ई को सांय 5 बजकर 28 मिनट बाद प्रदोष , निशीथ तथा महानिशिथ व्यापिनी होगी । अतः दीपावली पर्व 24 अक्टूबर सोमवार 2022 के दिन ही होगा ।
दीपावली – दिन के कृत्य इस दिन प्रात : काल ब्रह्ममुहुर्त में उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त हो पितृगण तथा देवताओं का पूजन करना चाहिए। सम्भव हो तो दूध , दही , घी से पित्रों का पार्वण श्राद्ध करना चाहिए । यदि रख सके तो उपवास रखें और गौधूलि बेला में अथवा वृष , सिंह और वृश्चिक आदि स्थिर लग्न में श्रीगणेश, कलश , षोडसमातृका एवं नवग्रह पूजन भगवती लक्ष्मी का षोडशोपचार पूजन करना चाहिए । इसके बाद महाकाली का दवात और के रूप में और महासरस्वती का क्रम , बही आदि के रूप में तथा कुबेर का तुला के रूप में सविधि पूजन करना चाहिए । इसी समय दीपपूजन कर यमराज और पितृगणों के निमित्त ससंकल्प दीपदान करना चाहिए । इसके बाद निशिथादि शुभ मुहूर्त में मन्त्र जप , यन्त्र सिद्धि, आदि अनुष्ठान सम्पन्न किये जा सकते हैं।
दीपावली वस्तुत: पांच पर्वो का महोत्सव है, जिसकी व्याप्ति कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी यानि धनतेरस से कार्तिक शुक्ल द्वितीया यानि भैय्या दूज तक रहती है ।
दीपावली पर्व पर धन की प्रभूत प्राप्ति के लिए धन की अधिष्ठात्री देवी धन्दा भगवती लक्ष्मी का विधिविधान से आवाहन , षोडशोपचार पूजन करना मंगलकारी माना गया है
इसके लिए शुभ मुहूर्त में पवित्र स्थान पर आटा , हल्दी , अक्षत , एवं पुष्पादि से अष्टदल कमल बनाकर श्रीलक्ष्मी का आवाहन एवं स्थापना करके देवों की विधिवत पूजा करनी चाहिए ।
आवाहन मन्त्र –
कां सोस्मिता हिरण्यप्राकारामार्द्रा ज्वलन्ति तृप्तां तर्पयन्तीम ।
पद्येस्थितां पद्यवर्णां तामिहोप हृये श्रियम् ।।
औम गं गणपतये नमः।। लक्ष्मै नमः ।। नमस्ते सर्वदेवानां वरदासि हरे: प्रिया । या गतिस्तवत्प्रपन्नानाम सा में भूयात्वदर्चनात् ।।
से लक्ष्मी , एरावतसमारूढो व्रजहस्तो महाबल : । शतयज्ञाधिपो देवस्तमा इन्द्राय ते नमः।
अब इस मन्त्र से इन्द्र और कुबेर की पूजा करें ।
कुबेरनाय नमः, धनदायक नमस्तुभ्यम निधपद्माधिपाय च।
भवन्तु त्वत्प्रसादान्मे धनधन्यादि सम्पदा:।।
पूजन सामग्री में विभिन्न प्रकार के शुद्ध एवं पौष्टिक मिष्ठान, फल ,फूल , अक्षत, धूप दीप आदि सुगन्धित वस्तुएं सम्मिलित करनी चाहिए । दीपावली के पूजन में प्रदोष , निशीथ एवं महानिशिथ काल के अतिरिक्त चौघड़िया मुहूर्त भी पूजन , बही खाता पूजन , कुबेर पूजा , जपादि अनुष्ठान की दृष्टि से विशेष शुभ एवं प्रशस्त माने गये हैं ।
इसके साथ ही इस पर्व पर ब्राह्मणों, आश्रितों एवं भाई बन्धुओं में सामर्थ्य अनुसार भेंट , मिष्ठान, फल आदि बांटना शुभ माना गया है ।
( नोट- चौघड़िया मुहूर्त , वृष , कर्क व सिंह लग्नों का समय स्थान भेद के अनुसार कुछ अन्तर लिए हुए रहता है। )
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