कहते है पावर का सुरूर अच्छो अच्छो को गुरूर से भर देता है लेकिन एक आईपीएस ऐसा भी हो जो भले ही डीआईजी के पद पर रहते हुए राजधांनी मे एसएसपी की कमान संभाल रहा हो मगर नजरे जमीन पर ही टिकी हुई रहती है गुरूर किस चिडिया का नाम है दिलिप सिंह कुंवर को पता ही नही है ये सब हम नही राजधानी की जनता खुद कहती है इतना ही नही समय समय पर कुंवर साहब ये सब कर के भी दिखा देते है इसी का ताजा उदाहरण देखने को तब मिला जब श्रीमती सुमंगला देवी पत्नी स्वर्गीय मायाराम कुकरेती निवासी 35/2 आर्य नगर ब्लॉक no- 02 डालनवाला देहरादून के साथ उनके बच्चो द्वारा किए जा रहे घरेलू अत्याचार के विषय में लखनऊ स्थित उनके भाई, सेवानिवृत्त डीआईजी, श्री सी एम बहुगुणा जी द्वारा दूरभाष के माध्यम से एसएसपी देहरादून महोदय को अवगत कराया गया कि उनकी बहन श्रीमती सुमंगला देवी जी, जो कि 85 वर्ष की सुपर सीनियर सिटीजन हैं तथा चलने फिरने में अक्षम है, के पांच बच्चे हैं जो उनके मकान में ही कब्जा करे बैठे हैं ना तो उनकी सेवा करता है और उनके ऊपर तरह तरह के अत्याचार करता है जबकि उनके बेटे हरि से नहीं मिलने देते इस शिकायत पर एसएसपी देहरादून महोदय द्वारा संज्ञान लेते हुए तुरंत प्रभारी निरीक्षक डालनवाला को मौके पर जाकर जांच कर तत्काल तथ्यों से अवगत कराने हेतु निर्देशित किया जिस क्रम में प्रभारी निरीक्षक ने जांच कर बताया कि श्रीमती सुमंगला देवी जी के 04 बेटे व 01 बेटी हैं जिनमे से एक बेटा राजेश उर्फ राजू अपने परिवार के साथ अपनी माता के ही मकान में रह रहा है वह न तो उनकी सेवा कर रहा है अपितु एक अन्य बेटा जो हरीश तथा उनकी पुत्री सीमा जो कि अपनी मां की सेवा करना चाहते हैं को भी सुमंगला देवी जी के पास आने नहीं देते। पुलिस ने तत्काल संज्ञान लेते हुए हस्तक्षेप किया पुलिस के हस्तक्षेप के बाद राजेश परिवार को लेकर अन्यत्र कहीं किराए पर रह रहा है तथा उनका बेटा हरीश अब उनके साथ रह रहा है तथा उनके साथ उनकी बेटी सीमा जी इच्छा अनुसार आ-जा सकती है। श्रीमति सुमंगला देवी जी का कुशलक्षेम जानने ख़ुद एसएसपी देहरादून उनके आवास पर पहुँचे तथा उनका कुशलक्षेम जानते हुए उनको बताया कि उनका बेटा एसएसपी देहरादून है तथा अपना नंबर देकर किसी भी परेशानी में बेटे को याद करने हेतु निवेदन किया तथा प्रभारी निरीक्षक डालनवाला को भी वरिष्ठ नागरिक सुमंगला देवी से संपर्क में रहने तथा यथोचित देखरेख के संबंध में दिशा निर्देश दिए। शायद इसी लिए कहते है कि
*विचार और व्यवहार..*
हमारे बगीचे के वो फूल है….
जो हमारे पूरे
*व्यक्तित्व को* महका देते हैं….


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