August 4, 2025

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वेस्ट वारियर की अनोखी पहल,प्लास्टिक लाओ उर्वरक खाद पाओ

उत्तराखंड एवं हिमाचल प्रदेश मे ठोस कचरा प्रबंधन पर कार्य कर रही वेस्ट वारियर्स संस्था द्वारा एक अनोखी मुहीम देहरादून क्षेत्र में चलाई गई है जिसके अंतर्गत सभी तरह के पुनः चक्रित प्लास्टिक कचरे जैसे की पानी ,कोल्ड ड्रिंक ,जूस ,दूध, शैंपू ,कंडीशनर,तेल आदि की खाली बोतल ,सभी तरह के चिप्स या नमकीन या पैकेजिंग प्लास्टिक के पैकेट,पॉलिथीन और कंटनेर इत्यादि संस्था को देने पर आपको उतने ही वजन की खाद अब मुफ्त दी जाएगी। इस मुहीम का मकसद है की हम प्लास्टिक कचरे को लैंडफिल मे जाने से बचा सके और इसको पुनः चक्रित कर इस्तेमाल कर सकेंI

गौरतलब है कि प्लास्टिक हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा खतरा है I अगर अभी भी हमने इसके लिए नहीं सोचा तो हमारे स्वास्थ्य के साथ साथ हमारे पर्यावरण को भी बहुत बड़ा नुक्सान उठाना पड़ेगाI

इस मुहीम के अंतर्गत प्लास्टिक कचरा लाने वालो को दिया गया प्लास्टिक कचरा जैसे शैम्पू ,क्रीम ,कोल्ड ड्रिंक ,पानी जूस ,तेल सभी तरह के चिप्स के पैकेट,पॉलिथीन,कंडीशनर आदि की बोतल के बदले मे उतनी ही मात्रा की जैविक खाद वेस्ट वारियर्स संस्था, देहरादून द्वारा बिलकुल मुफ्त दी जायगी I

संस्था द्वारा हर्रावाला वार्ड संख्या 97 का कचरे का प्रबंधन वर्ष 2020 से किया जा रहा है,जिसके अंतर्गत समस्त घरो द्वारा कचरे को अलग अलग कर ही गाड़ी को दिया जाता है एवं इसके साथ स्वच्छता केंद्र पर खाद बनाने का कार्य आधुनिक मशीन द्वारा भी किया जा रहा है.
प्लास्टिक को समाप्त करने में हमको कम से कम 1000 साल लगते हैं और मानव जाती लगभग 20,000 बोतल हर सेकंड इस्तेमाल करती है, जिसमे से केवल 7% ही रीसायकल या पुनः चक्रित होती है, बाकि सारा लैंडफिल या समुद्र मे पहुँच कर हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य को हानि पहुंचा रहा है I संस्था के प्रबन्धक श्री नवीन कुमार सडाना द्वारा बताया गया कि देहरादून मे पहली बार किसी संस्था द्वारा ऐसी मुहीम चलाई जा रही है जिसका लाभ आप सभी ले सकते है. यह खाद पूर्णतः जैविक है तथा इसमें किसी भी प्रकार के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया गया है, इस खाद को आप अपनी क्यारी, गमलों, खेत आदि में इस्तेमाल कर सकते है वेस्ट वारियर्स संस्था की इस पहल से पर्यावरण और थरती की उर्वरता पर निसंदेह अच्छा फर्क पडेगा अब देखना ये है कि संस्था की इस पहल का फायदा कितने लोग उठाते है और इस धरा को बचाने मे अपना कितना योगदान देते है

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