पुलिस महानिदेशक उत्तराखण्ड, दीपम सेठ के मार्गदर्शन में, साइबर पुलिस निरंतर लोगों के पैसे बचाने, जागरूकता अभियान चलाने और देश भर से गिरफ्तारियां करने में सक्रिय है। साथ ही, साइबर अपराधियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई कर साइबर पीड़ितों को न्याय दिलाने का काम भी प्रभावी रूप से किया जा रहा है। अभियोगों की समीक्षा ADG लॉ एवं आर्डर/साइबर डॉ. वी. मुरुगेसन तथा IG लॉ एवं आर्डर/साइबर डॉ. नीलेश आनंद भरने द्वारा समय-समय पर दिए जाने वाले दिशा-निर्देशों के अनुरूप की जाती है ।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एस0टी0एफ0, नवनीत सिंह द्वारा जानकारी देते हुये बताया कि एक प्रकरण जनपद नैनीताल निवासी पीड़ित द्वारा माह अगस्त 2025 में दर्ज कराया जिसमें उनके द्वारा बताया गया कि अगस्त 2025 में अज्ञात व्यक्तियों द्वारा स्वयं को महाराष्ट्र साईबर क्राईम विभाग से बताते हुए पीडित के नाम पर खुले बैंक खाते में मनी लांड्रिंग के तहत 60 करोड रूपये के लेनदेन होने की बात कही गयी थी । जिसके लिये पीडित के खातों का वैरिफिकेशन कराये जाने हेतु व्हाटसप कॉल पर ही पीडित को “डिजिटली अरेस्ट” करते हुए 12 दिनों में विभिन्न खातों में कुल 1.47 करोड की धनराशि धोखाधडीपूर्वक जमा करायी गयी थी ।
प्रकरण की गंम्भीरता के दृष्टिगत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एस0टी0एफ0 उत्तराखण्ड के दिशा निर्देशन तथा सहायक पुलिस अधीक्षक कुश मिश्रा व पुलिस उपाधीक्षक अंकुश मिश्रा के निकट पर्यवेक्षण में प्रभारी निरीक्षक / विवेचक अरूण कुमार, साईबर क्राईम पुलिस स्टेशन, कुमाऊँ परिक्षेत्र, रूद्रपुर के सुपुर्द कर अभियोग के शीघ्र अनावरण हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये । साईबर क्राईम पुलिस द्वारा घटना में प्रयुक्त बैंक खातों/ रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बरों / व्हाट्सअप की जानकारी हेतु सम्बन्धित बैंकों, सर्विस प्रदाता कम्पनियों, मेटा कम्पनी से पत्राचाकर कर डेटा प्राप्त किया गया। प्राप्त डेटा के विश्लेषण से जानकारी मे आया कि साईबर अपराधियो द्वारा घटना में पीड़ित को डिजिटली अरेस्ट कर विभिन्न बैंक खातों में धनराशि स्थानान्तरित करवायी गयी ।
तत्पश्चात प्राप्त डेटा के विश्लेषण से पुलिस टीम द्वारा अभियोग में प्रकाश में आए बैंक खातों तथा मोबाइल नम्बरों का सत्यापन किया गया । टीम द्वारा तकनीकी / डिजिटल साक्ष्य एकत्र किये गये, जिससे जानकारी प्राप्त हुयी कि पीड़िता को डिजिटल अरेस्ट का भय दिखाकर आईसीआईसीआई बैक के खाता संख्या -261205500038 IFSC CODE- ICIC0000210 में 33 लाख रुपये जमा कराये गये थे वह खाता गोवा राज्य के खाता धारक का था जिसमें रजिस्टर्ड मोबाईल नम्बर विगत कुछ दिनों पहले दिल्ली में एक्टिव था, बाद में यह नम्बर बन्द हो गया था । परन्तु उक्त मोबाईल नम्बर जिस डिवाईस में एक्टिव वह डिवाइस की लोकेशन भी दिल्ली में होनी पायी गयी । जिस पर टीम द्वारा तकनीकी साक्ष्यों का गहन विश्लेषण कर दिल्ली के करोलबाग स्थित कृष्णा स्टे पीजी गेस्ट हाउस में दबिश दी गयी तथा घटना से सम्बन्धित 02 अभियुक्तगणों (1) मौहम्मद सैफ पुत्र स्व0 खलील अहमद निवासी राजाजीपुरम हन्नी अपार्टमेंट फ्लैट न0 104 बुद्धस्वर थाना दुबक्का लखनऊ, उम्र 24 वर्ष व (2) शकील अंसारी पुत्र स्व0 कलाम मोमीन निवासी ग्राम विशनपुर पोस्ट ग्वालखोमीकर थाना बराहरूबा जिला साहबगंज झारखण्ड उम्र 23 वर्ष को गिरफ्तार किया गया । मौके पर ही अभियुक्तगणों के कब्जे से 09 मोबाईल फोन 14 मोबाईल सिम कार्ड, 03 चैक बुक, ब्लैंक/हस्ताक्षरित चैक -07, 04 डेबिट कार्ड, 01 पासपोर्ट व 01 मोहर ENVISAGETHREADSPRIVATE LIMITED बरामद हुई । इसी अभियोग से सम्बन्धित 01 अभियुक्त राजेन्द्र कुमार पुत्र श्री सोमनाथ हाल पता फ्लैट न0 02 ब्लाक 15 लीली अपार्टमेंट अमरावती बददी जिला सोलन हिमाचल प्रदेश स्थायी पता – ग्राम लक्खीबंस थाना रादौर जिला यमुनानगर हरियाणा को पूर्व में दिनांक 31-08-2025 को सोलन हिमांचल से गिरफ्तार किया जा चुका है
*अपराध का तरीका:*
अभियुक्तों द्वारा अपने सह-अभियुक्त के साथ मिलकर पीडिता को महाराष्ट्र राज्य के साईबर क्राईम विभाग का अधिकारी बताकर महाराष्ट्र में ही गिरफ्तार एक अन्य व्यक्ति के केस में पीडिता के नाम पर खुले केनरा बैंक के खाते में मनी लांड्रिंग के तहत 60 करोड की धनराशि प्राप्त होने की बात कही गयी, जिसके लिये पीड़िता को व्हाटसप कॉल के माध्यम से लगातार सम्पर्क में रहने तथा किसी भी व्यक्ति के सम्पर्क में नहीं रहने की हिदायत अपराधियों द्वारा दी जाती थी, व्हाटसप कॉल पर ही बैंक खातों के वैरिफिकेशन किये जाने को बोला जाता था, जिसके लिये साईबर अपराधियों द्वारा पीडित को डरा धमकाकर House Arrest / Digital Arrest होने की बात कहते हुए व्हाटसप कॉल के माध्यम से लगातार सम्पर्क में बने रहने की बात कहीं जाती थी । गिरफ्तार अभियुक्तों द्वारा पीड़ितों से धोखाधडीपूर्वक प्राप्त धनराशि को तत्काल ही अन्य खातों मे स्थानान्तरित कर दिया जाता था । जिसके लिये अभियुक्तों द्वारा साईबर धोखाधडी हेतु अलग-अलग व्यक्तियों के बैंक खातों का प्रयोग किया जा रहा था । आईसीआईसीआई बैंक के जिस खाते में पीड़िता से 33 लाख रुपये जमा कराये गये थे उस खाते का संचालन नैट बैंकिंग के माध्यम से किया जा रहा था तथा इस खाते में आयी धनराशि को अगले लेयर के बैंक खाते में स्थानान्तरित की जा रही थी । इस बैंक खाते में पंजीकृत मो0न0 नम्बर जिस डिवाइस में चला था व खाते में नेट बैंकिंग हेतु प्रयुक्त मोबाइल सिम भी अभियुक्तों के कब्जे से बरामद हुआ है । अभियुक्तों के कब्जे से अन्य बैंक खाते में रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बर व फोन भी बरामद हुये जिनका इस्तेमाल साईबर ठगी में प्राप्त धनराशि को अन्य खातों में स्थानान्तरित करने हेतु प्रयोग किया जा रहा था । ICICI बैंक से सम्बन्धित लाभार्थी बैकं खाता जिसका इस्तेमाल गिरफ्तारशुदा अभियुक्तगणों मौहम्मद सैफ व शकील अंसारी द्वारा किया जा रहा है । इस बैंक खाते का प्रयोग भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों उत्तर प्रदेश में 03, गुजरात, महाराष्ट्र तथा उत्तराखण्ड मे 01-01 शिकायत कुल 07 शिकायतें डिजिटल अरेस्ट से सम्बन्धित होनी पायी गयी । जिस सम्बन्ध में सम्बन्धित राज्यों को भी सूचित किया जा रहा है तथा बरामदा शेष बैंक खातों के सम्बन्ध में जानकारी हेतु विवेचना प्रचलित है ।
*अभियुक्तों का नाम व पता-*
(1) मौहम्मद सैफ पुत्र स्व0 खलील अहमद निवासी राजाजीपुरम हन्नी अपार्टमेंट फ्लैट न0 104 बुद्धस्वर थाना दुबक्का लखनऊ ।
(2) शकील अंसारी पुत्र स्व0 कलाम मोमीन निवासी ग्राम विशनपुर पोस्ट ग्वालखोमीकर थाना बराहरूबा जिला साहबगंज झारखण्ड ।
*बरामदगी-*
1- मोबाईल फोन –09
2- सिम कार्ड – 14
3- चैक बुक –03
4- ब्लैंक / हस्ताक्षरित चैक -07
5- डेबिट कार्ड-04
6- Envisagethreadsprivate Limited फर्म की मोहर- 01
7- पासपोर्ट -01
*पुलिस टीम-*
1- निरीक्षक अरूण कुमार,
2- अ0उ0नि0 सत्येन्द्र गंगोला,
3- हे0कानि0 सोनू पाण्डे,
4- हे0 कानि0 मनोज बवाड़ी,
5-कानि0 रवि बोरा
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एस0टी0एफ0 उत्तराखण्ड नवनीत सिंह ने जनता से अपील की है कि वे किसी भी प्रकार के लोक लुभावने अवसरों/फर्जी साईट/धनराशि दोगुना करने व टिकट बुक करने वाले अन्जान अवसरो के प्रलोभन में न आयें और न ही किसी भी प्रकार के अभियोग के भय में डालकर किये गये वीडियो कॉल/डिजिटल अरेस्ट के भय में न आये तथा सेटलमैन्ट के नाम पर कोई भी धनराशि जमा न करायें । साथ ही, सभी से अपील है कि
डिजिटल अरेस्ट एक साइबर घोटाला है, जिसमें ठग पुलिस/CBI/ED या सरकारी अधिकारी बनकर वीडियो कॉल या मैसेज के जरिए लोगों से संपर्क करते हैं और उन्हें ड्रग्स तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग या बैंक धोखाधड़ी जैसे गंभीर अपराधों में फंसाकर, तत्काल पैसे की मांग करते हैं। यह एक धोखाधड़ी है जिसका कानून में कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे कॉल आने पर घबराएँ नहीं, पैसे न दें, और तुरंत संचार साथी पोर्टल पर 1930 डायल करके या साइबर क्राइम पोर्टल/ स्थानीय पुलिस स्टेशन पर रिपोर्ट करें। कम समय में अधिक लाभ के चक्कर में इन्वेस्ट ना करें व शक होने पर तत्काल निकटतम पुलिस स्टेशन या साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन को सम्पर्क करें । वित्तीय साईबर अपराध घटित होने पर तुरन्त 1930 नम्बर पर सम्पर्क करें ।
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