July 18, 2025

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सैकड़ो जाने बचाने वाले फायर हाइड्रेन्ट को मात्र कुछ सौ रूपयो के लालच मे चुराने वाला संवेदनहीन चोर आया पुलिस की गिरफ्त मे, सोने से भी ज्यादा कीमती पीतल का चुराया था फायर अटैचमेंट और कंट्रोलर।

 

गौर से देखिये इस चेहरे को और इसके हाथ मे पकडे पैकेट को ये पैकेट भले ही देखने मे छोटा लग रहा हो लेकिन इस पैकेट मे सैकड़ो जान बचाने का सामान बंद है आपने समय-समय पर होटल और माँल मे आग लगने से होने वाली जान माल के नुकसान की खबरे यदा कद सुनी ही होगी जिससे बचने के लिए फायर विभाग सभी होटलो,माँल और बडे रेस्त्रांओ मे फायर सिस्टम लगाना अनिवार्य कर दिया था जो कि एक हाई पावर पंपिंग सिस्टम के चलने पर पानी की मोटी धार फेककर आग को बढने से पहले ही ठंडा करने मे मददगार साबित होता है इस पानी की लाईन को नियंत्रित करने के लिए पीतल के हाइड्रेन्ट लगे है जिनको ऑपरेट करने हेतु पीतल के चक्के लगे होते है जिस के माध्यम से पानी के प्रेसर को नियंत्रित किया जाता है वैसे तो कुछ लोग इन सब को पीपल की जगह लोहे के भी लगा लेते है लेकिन समय के साथ-साथ लोहे इन सामानो पर जंग लग जाता है और मुसीबत के समय जब लोगो की जान खतरे मे होती है तब ये धोखा दे देते है जिसके चलते कुछ समंझदार लोग पैसो का लालच ना करते हुए पीतल का सामान लगवा लेते है लेकिन कुछ मानवता के दुश्मन संवेदनहीन, निर्लज्ज, कौम के नाम पर कलंक मात्र कुछ हजार रूपयो के लालच मे अंधे होकर इनको चुरा लेते है इसी तरह का एक मामला माँ नैना देवी के धाम नैनीताल के रामनगर मे देखने को मिला जहां श्री ईश्वरी दत्त लखचौरा प्रबन्धक आस्थान माल लखनपुर रामनगर जिला नैनीताल द्वारा थाना रामनगर में सूचना दी गई कि उसके आस्थान मॉल के फायर लाइन में लोअर ग्राउण्ड से द्वितीय फ्लोर तक (कुल चार तल) तक दोनो ओर के जीनो में पानी की 4 लाइन से कनेक्टेड पीतल के हाइड्रेन्ट लगे है जिनको ऑपरेट करने हेतु पीतल के चक्को को आज अभियुक्त मोहसिन पुत्र यासीन नि0 खताड़ी वार्ड नं0 11 रामनगर जिला नैनीताल उम्र 20 वर्ष को चोरी करते हुए पकड़ा गया है। मौके पर थाना रामनगर पुलिस द्वारा पहुंचकर अभियुक्त पुलिस हिरासत में लेकर वादी की तहरीर के आधार पर उसके विरुद्ध FIR NO- 580/22, धारा- 379/411 भादवि के अंतर्गत अभियोग पंजीकृत कर न्यायिक हिरासत भेजा गया। अब अदालत केवल मुल्जिम को केवल एक चोर मानकर ही मुकदमे की सुनवाई करेगी लेकिन अगर मानवता की निगाह और से देखा जाये तो इस घटना के बाद भगवान ना करे कोई हादसा हो जाता तो ना जाने कितनी जिन्दगी तंदूर बने मांल मे जल भूनकर खाख हो सकती थी लेकिन अदालत भावनाओ पर नही सबुतो के आधार पर ही गुनाह का फैसला करती है लेकिन अब समय है कि अपराधी के अपराध को मानवीय आधार पर देख कर सजा का निर्धारण करना चाहिए ताकि ये नामुराद जाहिल लोग सजा के डर से ही सही इस तरह के क्रत्य से दूर रहे।

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