मुकेश कुमार(राष्ट्रीय दिया समाचार) हल्द्वानी
,लालकुआँ राज्य आंदोलनकारी ललित कडपाल ने प्रदेशवासियों को राज्य स्थापना दिवस की शुभकामनाएं देते हुए प्रदेश में बढ़ती जनसमस्याओं पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि कि प्रदेश को बने हुए 25 वर्ष बीत गए है। लेकिन राज्य अवधारणा के सपने आज भी पूरे नहीं हो पाए है। सरकार उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को केवल 9 नवंबर को याद करती है। आज प्रदेश पलायन की मार झेल रहा है। अस्पतालों में आज भी विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है। लोगों को समय पर उचित ईलाज न मिल पाने के कारण उनकी मुत्यु हो रही है सड़क ,शिक्षा, बेरोजगारी, जल-जंगल-जमीन की लूट और पर्वतीय क्षेत्रों की उपेक्षा जैसी समस्याएं आज भी बनी हुई हैं। सरकार गैरसैंण को प्रदेश की स्थायी राजधानी बनना भुल गई।
उन्होंने कहा कि राज्य गठन के 25 वर्ष बाद भी आन्दोलनकारियों को उचित सम्मान और सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। उन्होंने कहा कि आज सरकार आंदोलनकारियों का सम्मान केवल औपचारिकता के रूप में करती है, जबकि जमीनी स्तर पर उनकी समस्याएं और राज्य हित के मुद्दे अनदेखे हैं। उन्होंने कहा कि आदोंलनकारियों को मिलने वाली पेंशन सिर्फ ऊट के मुहं में जीरा सबित हो रही है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान महंगाई को देखते हुए ₹4,500 मासिक पेंशन अत्यंत अल्प है, जिसे बढ़ाकर कम से कम ₹15,000 प्रतिमाह किया जाए। जिसे राज्य आंदोलनकारियों को कुछ हद तक लाभ मिल सकें। उन्होंने कहा कि आज सदन में प्रदेश ज्वलंत मुद्दों पर बात नहीं कि जा रहीं है सिर्फ पहाड़ और मैदान पर जोर दिया जा रहा है जो दुर्भाग्यपूर्ण है उन्होंने कहा कि पहाड़ मे रहने वाला, हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई ,सभी समाज का व्यक्ति पहाड़ वासी है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि जो कोई व्यक्ति प्रदेश में पहाड़ और मैदान का जहर घोलकर राजनीति करना चाहता है उसके खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाए।

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