वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून में आज दिनांक 2 अक्टूबर, 2022 को राट्रपिता महात्मा गांधी जी की 153वीं जयन्ती मनाई गई। कायर्क्रम के शुभारंभ में संस्थान के दीक्षान्तगृह में डा0 रेनू सिंह, निदेाक वन अनुसंधान संस्थान एवं अन्य अधिकारियों ने सवर्प्रथम राट्रपिता महात्मा गांधी जी की तस्वीर पर श्रद्वासुमन अपिर्त किये। तत्पचात संस्थान निदेाक ने वन अनुसंधान संस्थान के समस्त अधिकारियों एवं कमर्चारियों को स्वच्छता की शपथ दिलाई। आज प्रातः 7.00 से 8.00 बजे तक संस्थान परिसर में एक सफाई अभियान भी चलाया गया। साथ ही साथ संस्थान के प्रभागों व कायार्लयों में अपराह्न 12.00 बजे तक स्वच्छता अभियान भी चलाया गया, जिसमें संस्थान के समस्त अधिकारियों, वैज्ञानिकों एवं कमर्चारियों ने बढ-चढकर हिस्सा लिया। इस अवसर पर संस्थान के मुख्य भवन में पेंटिंग के माध्यम से राट्रपिता महात्मा गांधी जी व सफाई के प्रति जागरूकता को एक प्रदर्शनी के माध्यम से दर्शाया गया।
राट्रपिता महात्मा गांधी जी की जयन्ती के अवसर पर संस्थान के मुख्य भवन के गुम्बदों पर राट्र ध्वज फहराया गया एवं रात्रि में संस्थान के मुख्य भवन को रोशनी से जगमगाया गया।
और आपको बताते चले की 2 अक्टूबर को ही हिन्दुस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व, लाल बहादुर शास्त्री की भी जयंती मनाई जाती है और शास्त्री जी के योगदान को भुलाया नही जा सकता गैर तलब है कि 1965 की लडाई के कठिन समय मे जिस तरह से उन्होन देश को संभाला वो अपने आप मे एक मिसाल थी छोटे कद के शास्त्री जी की हाजिर जवाबी का एक किस्स जब पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने भारत के पहले पीएम पंडित नेहरू के निधन के बाद अपनी भारत यात्रा रद्द की थी। तब लाल बहादुर शास्त्री ने तंज कसते हुए कहा था कि आपको दिल्ली आने की जरूरत नहीं, हम खुद ही लाहौर तक आ जाएंगे। तब शायद अयूब खान ने यह बात हल्के में ली होगी। पर शास्त्री जी ने 1965 के युद्ध में अपनी कथनी को करनी में बदल दिया। पाकिस्तान को ऐसी धूल चटाई कि पड़ोसी देश समेत विश्व के नेताओं को उनके असल कद का भान हो गया। शास्त्री जी पर यहां बिहारी सतसई के दोहे की एक पंक्ति प्रासंगिक है, “देखन में छोटे लगैं, घाव करैं गम्भीर” और ऐसे शानदार व्यक्तित्व के मालिक लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर अपने संस्थान मे याद तक ना करना एक बडी भूल अवश्य कहलायेगी ।
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