देहरादून
देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी के ऐतिहासिक ड्रिल स्क्वायर से आज शौर्य, अनुशासन और राष्ट्रभक्ति की गूंज सुनाई दी….भारतीय सैन्य अकादमी में 157वीं पासिंग आउट परेड का भव्य आयोजन हुआ, जहां कुल 525 अधिकारी कैडेट्स भारतीय सेना और मित्र देशों की सेनाओं का हिस्सा बने।
भारतीय सैन्य अकादमी के ड्रिल स्क्वायर पर परंपरा, गौरव और सैन्य गरिमा का अद्भुत संगम देखने को मिला……157वीं पासिंग आउट परेड में कुल 525 अधिकारी कैडेट्स अकादमी से पास आउट हुए….इनमें से 491 युवा अधिकारी भारतीय थल सेना को मिले, जबकि 14 मित्र देशों के 34 कैडेट्स अपनी-अपनी सेनाओं में कमीशन हुए……
यह क्षण केवल एक परेड नहीं, बल्कि कठोर प्रशिक्षण, अनुशासन और अदम्य साहस की परीक्षा के सफल समापन का प्रतीक था…..अकादमी के आदर्श वाक्य वीरता और विवेक को चरितार्थ करते हुए कैडेट्स ने राष्ट्रसेवा का संकल्प लिया…..
थल सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने परेड की समीक्षा की….की और उन्होंने नव-नियुक्त अधिकारियों को प्रशिक्षण पूर्ण करने पर बधाई देते हुए कहा सेना में कमीशन प्राप्त करना केवल प्रशिक्षण की समाप्ति नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति आजीवन कर्तव्य और निस्वार्थ सेवा की शुरुआत है….उन्होंने युवा अधिकारियों के अनुशासन, नेतृत्व क्षमता और सहनशक्ति की सराहना की और भारतीय सेना की गौरवशाली परंपराओं को आगे बढ़ाने का आह्वान किया खास बात यह रही कि
जनरल उपेन्द्र द्विवेदी स्वयं दिसंबर 1984 में इसी अकादमी से पास आउट हुए थे…..41 वर्षों बाद, उसी मैदान पर वे आज रिव्यूइंग ऑफिसर के रूप में लौटे—यह क्षण अपने आप में इतिहास बन गया……
स्वॉर्ड ऑफ ऑनर व स्वर्ण पदक – निष्कल द्विवेदी
रजत पदक – बादल यादव
कांस्य पदक – कमलजीत सिंह
रजत पदक (TES) – अभिनव मेहरोत्रा
रजत पदक (TG) – जादव सुजीत संपत
रजत पदक (SCO) – सुनील कुमार क्षेत्री
सर्वश्रेष्ठ विदेशी कैडेट – मोहम्मद सफ़िन अशरफ (बांग्लादेश)
चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बैनर – इंफाल कंपनी
वहीं पासिंग आउट परेड के दौरान कई ऐसी कहानियाँ सामने आईं, जिन्होंने सभी को भावुक कर दिया। किसी ने वर्षों के संघर्ष और कठिन परिश्रम के बाद भारतीय सेना में स्थान पाया, तो कहीं ऐसे परिवार भी दिखे जो पीढ़ी दर पीढ़ी भारतीय सेना के गौरवशाली इतिहास से जुड़े रहे हैं….इन्हीं में एक परिवार ऐसा भी रहा, जहाँ दोनों बेटे भारतीय सेना में कमीशन प्राप्त कर चुके हैं। परिवार के बड़े बेटे को वर्ष 2021 में कमीशन मिला था, जबकि आज छोटे बेटे ने भी अधिकारी के रूप में सेना में कदम रखा। खास बात यह है कि परिवार के मुखिया स्वयं भी भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हैं, जिससे यह परिवार देशसेवा की मिसाल बनकर सामने आया…….
IMA की यह पासिंग आउट परेड सिर्फ एक समारोह नहीं,बल्कि भारत की सैन्य शक्ति, नेतृत्व और भविष्य का सशक्त संदेश है वही पास आउट हुआ जेंटलमैन कैडेट्स और उनके परिवार वालों का कहना की यह उनके लिए तो गौरवशाली क्षण के साथ साथ पूरे देश को गौरव करने वाला क्षण है।

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